Investment की मूल बातें
Investment क्या है?
Investment किसी भी प्रकार की हो उसका उद्देश्य केवल लाभ कमाना ही होता है। Investing हम एक प्रकार से कह सकते हैं कि अपने मेहनत की capital से passive income उत्पन्न करना कह सकते हैं। अगर और आसान भाषा में कहें तो इन्वेस्टिंग मतलब पैसे से पैसे कमाना।
Investment के लाभ
Financial Free करता हैं और Wealth Build करने में भी बहुत महत्वपूर्ण होती है।
बढ़ती हुई Inflation को beat करता है।
Passive Income बनती है।
High Interest Rate और returns भी high मिलते हैं जिसने पैसा बहुत तेजी से बढ़ता है।
Saving बेहतर या Investment?
Savings क्या है?
जिस पैसे को हम अपने daily, monthly, या annual expenses के बाद बचाते हैं उसे हम सेविंग कहते हैं। इस पैसे को हम अपने भविष्य के खर्चों के लिए बचाकर या विपरीत स्थितियों के लिए रखते हैं।
Savings और Investment में अंतर
Main Purpose:
Savings का मुख्य उद्देश्य है विपरीत स्थितियों में या भविष्य की आवश्यकताओं के लिए पैसे को बचाकर रखना और तुरंत उपलब्ध कराना। यही Investing हम उसी save किए गए पैसे को बढ़ाने और financial गोल्स पूरे करने के लिए करते हैं।
Risk Tolerance:
सेविंग में रिस्क नहीं होता, लेकिन इन्वेस्टिंग में risk बहुत ज्यादा होता है ये रिस्क हमारे invest किए गए क्षेत्र पर निर्धारित होता है।
Returns:
Saving अगर हम सेविंग अकाउंट के माध्यम से करें तो हमें 3% तक returns मिलते हैं वहीं अगर savings हम घर में जमा करें तो इसमें कोई रिटर्न्स नहीं मिलता यहीं इसके विपरीत अगर Investing की बात की जाए तो यहां high risk लेने के साथ - साथ बहुत अच्छे रिटर्न्स भी मिलते हैं ।
क्या चुने Saving या Investing ?
अगर सीधे शब्दों में जवाब दिया जाए तो हमेशा Investment ही ठीक रहती है risk होता है पर long टर्म में रिटर्न्स भी अच्छे मिलते हैं जबकि saving Inflation को beat नहीं कर सकती क्योंकि समय के साथ - साथ Inflation भी बढ़ती है जिससे अगर आपका पैसा Save किया होगा तो वो Inflation को बिट नहीं कर पाएगा अगर सीधे शब्दों में कहा जाए तो समय के साथ Inflation तो बढ़ेगा लेकिन अगर आपका पैसा जो आपने save किया है तो वो नहीं बढ़ेगा और महंगाई के कारण आपका पैसा इतना पर्याप्त है होगा कि आपके financial goals को पूरा कर सके। इसी के विपरीत investing में अच्छे रिटर्न्स के कारण वो inflation को भी beat कर देती है और इससे हम अपने financial goals को भी पूरा कर सकते हैं।
Investing के मुख्य प्रकार
Stock :
कंपनी के stock/ Equity ( हिस्सेदारी) में invest इसमें हम कंपनी के कुछ shares को खरीद लेते हैं जैसे कंपनी की ग्रोथ होती है वैसे ही हमारे shares की value भी बढ़ती है इससे हमें बहुत अच्छे returns मिलते हैं साथ ही Stock Market Volatile होता है इसलिए risk भी ज्यादा होता है।
Real Estates (REITs):
Real Estates मतलब संपत्ति खरीदना या Real Estates Investment ट्रस्ट में invest करना real estate लोग terms में काफ़ी अच्छा परफॉर्म करता है लेकिन अगर संपत्ति खरीदी है तो उसे बेचने में थोड़ी परेशानी आ सकती है साथ ही हम real estate संपत्ति को rent पर भी दे सकते हैं जिससे एक Passive Income उत्पन्न हो सकती है।
FD (Fixed Deposit) :
रिस्क नहीं होता है लेकिन returns fixed होते हैं इसमें market Volatility का कोई डर नहीं होता।
Bonds :
किसी सरकारी अथवा निजी कंपनी को पैसे उधार देना। इसमें fixed interest होता है और maturity पर मूलधन जो हमने लगाया था वापस आ जाता है। Stock से कम risk होता है और F/D से ज्यादा return मिलते हैं।
ETFs ( Exchange Traded Funds):
Stock Exchange पर trade होते हैं अर्थात Stock Exchange पर खरीदा बेचा जाता है, कम शुल्क अधिक liquidity।
Commodities:
सोना, चांदी , Crude Oil जैसे चीजों पर invest किया जाता है अक्सर Future Contract से invest किया जाता है। ये highly volatile होते हैं तो advanced Investor के लिए ठीक होते हैं।
Mutual Funds:
Mutual Funds beginners के लिए एक अच्छा रास्ता हो सकता है क्योंकि इसमें हमारा पैसा एक financial expert के द्वारा लगाया जाता है इसलिए safety होती है साथ ही long term में ज्यादा returns मिलते हैं।
तो अब जानते हैं वो स्टेप्स जो आपको beginner होने के कारण पहली बार investing करने के लिए जरूर पता होना चाहिए।
अपने financial goal निर्धारित करें।
अपने financial goal निर्धारित करने से मतलब है कि ये सुनिश्चित करें कि आपको पैसा क्यों चाहिए? आपको कोई गाड़ी लेनी है , बेटी की शादी करानी है या घर लेना है । इससे आपके आगे का रास्ता साफ़ नजर आता है। इसके साथ - साथ ये भी ध्यान रखें कि आपका ये goal पूरा करने में कितना समय लगेगा फिर उस हिसाब से investing का प्रकार चुने।
Short Term - ( 1 - 3 )years
Mid Term - ( 3 - 5 )years
Long Term - 5+ years
अपनी Financial Situation को समझे
1.सुनिश्चित करे कि month में आपका कितना खर्चा होता है कितना पैसा बचता है।
2.अपने लिए एक 3 - 6 महीने तक का काम चल जाए इतना पैसा जोड़ के एक Emergency Fund बनाए जो आपको आपके Emergency के time में help करेगा और आपको invested amount निकालने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
3.Loan हो तो पहले उसे चुकाए उसके बाद ही investing के ऊपर ध्यान दें।
अपनी Risk Tolerance को समझिए।
अपनी Risk Tolerance को समझने से मतलब आप कितना risk ले सकते हैं ये risk आपकी Income, Emergency Fund, Job Stability आदि पर depend करता है।
Low Risk - FD (Fixed Deposit), PPF ( Public Provident Fund)
Mid Risk - Mutual Funds, Bonds
High Risk - Share Market, Commodities
| Option | Return | Risk | Lock-in |
|---|---|---|---|
| Stock Market | 10–15% | High | None |
| Mutual Funds | 8–12% | Medium | 1–3 yrs (ELSS only) |
| SIP | 8–12% | Medium | Depends on fund |
| Fixed Deposit (FD) | 5–7% | Low | 6 mo – 10 yrs |
| PPF | ~7.1% | Low | 15 yrs |
| Gold | 6–8% | Medium | None |
| ETF | Varies | Medium | None |
| Real Estate | Varies | Medium | 3–5 yrs |
| Bonds | 5–8% | Low–Medium | 1–10 yrs |
| Commodities | Varies | High | None |
अपनी Investment Planning करें
1.अपने पैसे को diversify करें ।
2.समय समय पर portfolio को rebalance करें।
3.अगर उमर ज्यादा है तो risk कम ले अगर अभी जवान है तो अधिक risk ले सकते हैं।
Diversification क्यों जरूरी है?
Diversification का सीधा मतलब है अपने पैसे को diversify करना अर्थात एक ही जगह न लगाकर अलग अलग जगह invest करना diversification इसलिए जरूरी है क्योंकि अगर आपका पैसा एक ही जगह लगा होता है तो पैसा डूबने के chances ज्यादा होता है। एक उदाहरण से समझते हैं 2008 में जब financial crisis थे तो ज्यादातर बैंक डूब रहे थे जिनका सारा पैसा banks में था उसका तो बहुत बड़ा लॉस हो गया वही जिसका पैसा diversify था अर्थात् बंटा हुआ था उसको इतना मेजर लॉस नहीं हुआ होगा क्योंकि एक field में अगर लॉस हो रहा है तो जरूरी है है कि हर field में loss हो इसलिए हमेशा अपना पैसा diversify कीजिए।
सही investment platform का चयन करें
1.Online Brokerage Account
सीधे stocks, ETFs, Mutual Funds, आदि में invest करने की सुविधा प्रदान करते हैं।
उपयोगकर्ता अनुभव, फीस, support की जांच करें।
2.Robo - Advisors
Automated platforms होते हैं ये platform आपकी जानकारी के आधार पर portfolio बनाते साथ ही मैनेज करते हैं।
3. Traditional Financial Advisor
Personalized advice और व्यापक financial planning में मदद करते हैं।
Demat Account खोलें
1.किसी भी ऑनलाइन broker में अपना demat account खोलें ( Zeroddha, Groww, Upstox, Angel One)
2.KYC कंप्लीट करें (Aadhar, Pan, Bank Details )
3. Bank account लिंक करें।
छोटे investment से शुरुआत करें
अगर आपको investing में काम जानकारी है तो हमेशा एक छोटे investment से शुरुआत करें और साथ ही low risk वाली investment करें।
आप चाहे तो SIP से शुरुआत कर सकते हैं 500/1000 monthly उसमे invest करना एक अच्छी शुरुआत हो सकती है साथ ही अपने पैसे हो diversify करना भी एक नए investor के रूप में एक अच्छा कदम साबित हो सकता है।
नियमित रूप से Review करें।
1. 6 महीने या साल भर में अपने PortFolio को चेक करें।
2.अपने goals या market के हिसाब से बदलाव करें।
3.जरूरत पड़ने पर professional से सलाह लें।
Important Tips
जल्दी अमीर बनने के चक्कर में fraud schemes से बचें।
ज्यादा लालच ना करें
Investing एक long term का गेम हैं ये अपना कमाल long टर्म में दिखाती है इसलिए patience रखें।
निष्कर्ष
निवेश एक लंबी यात्रा है, जिसे सही दिशा में शुरू करना बेहद ज़रूरी है।
Risk Tolerance को समझना, अपने वित्तीय लक्ष्यों को तय करना, और एक मजबूत Emergency Fund बनाना — ये तीनों कदम आपको एक सुरक्षित और सफल निवेशक बना सकते हैं।
बाजार का उतार-चढ़ाव temporary होता है, लेकिन आपकी सोच और प्लानिंग अगर मजबूत है, तो long-term में आपको अच्छा रिटर्न जरूर मिलेगा।
अब जब आपने निवेश की सही शुरुआत के बारे में जान लिया है,
तो: ✅ आज ही अपने Investment Goals तय करें
✅ अपना पहला SIP या Emergency Fund बनाना शुरू करें
✅ और अगर ये जानकारी काम की लगी हो, तो
🔗 इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें
💬 नीचे comment करके बताएं कि आपको सबसे ज्यादा कौन-सी बात नई और मददगार लगी
FAQs -
Q1. Risk Tolerance क्या होता है?
Ans: Risk Tolerance का मतलब है कि आप अपने निवेश (Investment) में होने वाले नुकसान या उतार-चढ़ाव को कितनी आसानी से सहन कर सकते हैं। अगर market गिरने पर भी आप घबराते नहीं हैं, तो आपकी Risk Tolerance high मानी जाती है।
Q2. Emergency Fund कितना होना चाहिए?
Ans: Emergency Fund कम से कम 3 से 6 महीने के जरूरी monthly expenses जितना होना चाहिए। जैसे अगर आपका खर्च ₹25,000 प्रति महीना है, तो Emergency Fund कम से कम ₹75,000 से ₹1.5 लाख होना चाहिए।
Q3. Beginners के लिए सबसे safe Investment options कौन-से हैं?
Ans: अगर आपकी Risk Tolerance low है, तो Public Provident Fund (PPF), Fixed Deposits (FDs), और Liquid Mutual Funds आपके लिए safe और stable options हैं।
Q4. क्या Risk Tolerance समय के साथ बदल सकती है?
Ans: हां, आपकी Risk Tolerance समय के साथ बदल सकती है — जैसे-जैसे आपकी उम्र, income, या जिम्मेदारियाँ बदलती हैं। इसलिए हर कुछ समय बाद अपनी Risk Tolerance को दोबारा समझना जरूरी होता है।

1 Comments
First Comment 🫡
ReplyDelete